शिव सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य
उच्चतम न्यायालयसिविल अपील संख्या 4414 वर्ष 2018
25 अप्रेल, 2018 को विनिश्चित
निर्णय
अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्तिण् - अनुमति प्रदान की गयी।
2. यह अपील रिट याचिका संख्या 2150 वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, शिमला द्वारा पारित किये गये दिनांक 1.11.2016 के अन्तिम निर्णय तथा आदेश के विरुद्ध दाखिल की गयी है, जिसके द्वारा उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने वर्तमान अपीलार्थीगण के द्वारा दाखिल की गयी रिट याचिका क खारिज कर दिया था जिसमें अपीलार्थीगण की भमि के अर्जन के लिये प्रत्युत्तरदाता.राज्य के द्वारा सस्थित की गयी भूमि अर्जन कार्यवाही को चुनौती दी गयी थी।
4. इस वाद में विवाद अपीलार्थीगण से सम्बन्धित भमि के उस अर्जन से सम्बन्धित है, जिसे भूमि अजन, पुनवासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 (एतस्मिन्पश्चात् "अधिनियम" के रूप में निर्दिष्ट)ध के प्रावधानों के अधीन अर्जित किये जाने की ईप्सा की गयी है।
5. अधिनियम की धारा 11 के अधीन जारी की गयी दिनांक 8.12.2015 की अधिसूचना के द्वारा, हिमाचल प्रदेश राज्य ने अन्य भूस्वामियों की भूमियों के साथ अपीलार्थीगण की लगभग 1-00-49 हेक्टेयर अधिमाप की भूमि को अर्जित करने की ईप्सा की थी। यह अर्जन लोक प्रयोजन, अर्थात् "बस स्टैण्ड रूहिल से कूपर होते हुये ऊपरी रूहिल तक सड़क के निर्माण" के लिये था।
6. यह विवादित नहीं है कि अपीलार्थीगण (रिट याचीगण) ने प्रस्तावित अर्जन के प्रति अधिनियम की धारा 15 के अधीन विहित समय के भीतर अपनी आपत्तियां (संलग्नक पी-8) 5.1.2016 को दाखिल की थीं।
7. अधिनियम की योजना के अधीन जब एक बार प्रभावित भूस्वामियों के द्वारा आपत्तियां दाखिल की जाती हैं, उन्हें भस्वामियों, जिन्होंने अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की थीं, को सुने जाने का अवसर प्रदान करने के पश्चात् अधिनियम की धारा 15 (2) के अधीन कलेक्टर के द्वारा निर्णीत किया जाना आवश्यक है और ऐसी अग्रेतर जांच, जैसे कलेक्टर आवश्यक समझे, करने के पश्चात् उससे प्रश्नगत अर्जन में उपयुक्त कार्यवाही के लिये समुचित सरकार के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना अपेक्षित है।
Shiv Singh vs State of Himachal Pradesh Judgment Hindi
8. इस वाद में, हम यह पाते हैं कि कलेक्टर ने अपीलार्थीगण को न तो अधिनियम की धारा 15 (2) के अधीन यथा अनुचिन्तित सुनवाई का कोई अवसर प्रदान किया था, न ही सरकार के समक्ष अधिनियम की धारा 15 (2) के अधीन यथोपबन्धित कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिससे कि सरकार को उपयुक्त निर्णय लेने के लिये समर्थ बनाया जा सके। अन्य शब्दों में हम यह पाते हैं कि कलेक्टर के द्वारा अधिनियम की धारा 15 (2) का अपालन हुआ है।
हमारी राय में, कलेक्टर की ओर से अधिनियम की धारा 15 (2) के अधीन विहित प्रक्रिया का अनुपालन करना आज्ञापक है, जिससे कि अर्जन कार्यवाही को वैध तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप बनाया जा सके।
9. मामले के पूर्वोक्त पहलू पर उच्च न्यायालय के द्वारा विचार किया जाना प्रतीत नहीं होता है, जो इस न्यायालय के द्वारा हस्तक्षेप की अपेक्षा करते हये अपीलार्थीगण की रिट याचिका की खारिजी में परिणामित हुआ था।
इसी कारण से और मामले में उदभूत किसी अन्य विवाद्यक पर विचार किय बिना हम अनुज्ञात करने, आक्षेपित निर्णय को अपास्त करने और अपीलार्थीगण की रिट याचिका को आंशिक रूप में अनुज्ञात करने के इच्छुक हैं।
12. हम एतद्द्वारा वर्तमान प्रत्युत्तरदाता संख्या 2 (कलेक्टरए विन्टर फील्डए शिमला-3, हिमाचल प्रदेश) को अधिनियम की धारा 15 (2) की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुये 5.1.2016 को अपीलाथीगण के द्वारा दाखिल की गयी आपत्तियों को निर्णीत करने तथा उपयुक्त आदेश पारित करने के लिये निदेशित करते है।
13. आपत्तियों को आदेश में किये गये हमारे संप्रेक्षणों के द्वारा प्रभावित हुये बिना बाह्य सीमा के रूप में इस आदेश की तारीख से तीन माह के भीतर निर्णीत किया जाये।।
14. इन संप्रेक्षणों और निर्देशों के साथ अपील अनुज्ञात होती है।
नोट :
[ ज्ञानी लॉ द्वारा उक्त आदेशो का हिंदी रूपांतरण सिर्फ जन-सामान्य व्
अधिवक्ता गणों को हिंदी में उक्त आदेशों को समझने हेतु प्रस्तुत किये जातें
है इनका प्रयोग किसी भी विधिक कार्यवाही में करना त्रुटिपूर्ण होगा ]
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