अक्सर आपने सुना और फिल्मो में देखा होगा की लोग कोर्ट में झूंठी गवाही या वयान दे देते है और अपने सुना भी होगा की अदालत में झूठे वयान देने पर सजा भी हो सकती है परन्तु बह एक फिल्म है। |
साथ ही अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलने पर अदालत द्वारा क्या सजा का क्या प्रावधान है, तो आने रहिये आज के इस लेख में चलिए शुरू करते है।
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तो अगर कोई भी व्यक्ति कोर्ट में झूठी गवाही देता है तो न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति पर तीन तरह से कारवाही की जा सकती है।
कोर्ट में झूठा बयान देने पर सजा
- पहला - अगर अदालत को मुकदमे के किसी भी मोड़ पर यह प्रतीत होता है कि गवाह न्यायालय में शपथ लेने के बाद झूठ बोल रहा है या अपने द्वारा दिए गए वयानो से पलट रहा है तो ऐसे में न्यायालय उस व्यक्ति के खिलाफ मुक़दमा कायम करा सकती है ऐसे में अदालत सीआरपीसी की धारा -340 के अंतरगर्त कार्यवाही करती है।
- दूसरा- वादी यानि जिसने न्यायालय में मुक़दमा दायर किया है तो अगर वादी को ऐसा लगे कि उसका गवाह उसी के खिलाफ गवाही दे रहा है और बह दोषी को बचाने के लिए न्यायालय में झूठ बोल रहा है तो बह शिकायतकर्ता उस गवाह के प्रति न्यायालय द्वारा और पुलिस दोनों के द्वारा मदद ले उस झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है।
- तीसरा -वादी की तरह प्रतिवादी यानि दोषी भी गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है अगर दोषी को लगे की कोई गवाह उसे झूठा फ़साने के लिए या वादी की मदद करने के लिए उसके खिलाफ न्यायालय में झूठी गवाही दे रहा है, तो दोषी भी उस गवाह के प्रति न्यायालय द्वारा कार्यवाही कर सकता है।
झूठी गवाही से कैसे वचे
अगर किसी भी वजह से आप अदालत मे गवाह वन गये है चाहे पुलिस के दववा के कारण या किसी अन्य कारण से और वाद मे आप वह गवाही नही देना चाहते है
तो सवसे पहले अदालत का गवाही का नोटिस आने पर आप उस अदालत मे आवेदन कर गवाही से अपना नाम हटवा सकते है या अगर आप ऐसा नही कर पाते है
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और नोटिस आने के वाद आप गवाही देने जाते है और न चाहते हुऐ भी आपको वह गवाही देनी पडती है तो आप किसी भी वात का सीधा जववा न देकर यह कहकर वच सकते है कि आपको याद नही है।
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